साल का पहला चंद्र ग्रहण (Chandra Grahan) 16 मई को लगने जा रहा है। इस दिन वैशाख की पूर्णिमा भी है। भारत में यह चंद्र ग्रहण नहीं दिखेगा इसलिए यहां सूतक काल मान्य नहीं होगा।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ग्रहण का विशेष महत्व है। इस वजह से देश में ग्रहण काल को अशुभ माना जाता है। सूतक के कारण इस दौरान कोई भी धार्मिक या शुभ कार्य नहीं किया जाता है।
इसलिए इस दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। क्या हैं वो बाते, आइए जानते हैं – चंद्र ग्रहण के दौरान क्या करें और क्या न करें।
इस दौरान कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए और न ही भगवान की मूर्तियों को छुआ जाना चाहिए। ग्रहण काल में तुलसी के पौधे को नहीं छूना चाहिए। सूतक लगने से पहले तुलसी के पत्ते तोड़ लें। मन और बुद्धि पर पड़ने वाले दुष्प्रभाव से बचने के लिए ग्रहण काल में ध्यान करना चाहिए।
ग्रहण से बारह घंटे पहले और चंद्र ग्रहण से नौ घंटे पहले से ग्रहण समाप्त होने तक भोजन नहीं करना चाहिए। सूतक काल के नियम गर्भवती महिलाओं, बुजुर्गों, बच्चों और बीमार लोगों पर लागू नहीं होते हैं। ग्रहण काल के दौरान गर्भवती महिलाओं को काटने, छीलने या सिलाई का काम नहीं करना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं को ग्रहण काल में घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए और न ही सोना चाहिए। ग्रहण काल में भोजन नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है। घर में बने भोजन में सूतक काल लगने से पहले तुलसी के पत्तों डाल देने चाहिए। इससे भोजन दूषित नहीं होता है।
ग्रहण के दौरान तेल लगाना, पानी पीना, बाल बनाना, कपड़े धोना और ताले खोलना जैसे काम न करें। धन और अनाज का जरूरतमंद लोगों को दान करें। अपने इष्टदेव के मंत्रों का जाप करें। मंत्र जप की संख्या कम से कम 108 होनी चाहिए।
शिवलिंग पर जल चढ़ाएं और ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप करें। इससे चंद्र ग्रहण का बुरा प्रभाव नहीं पड़ेगा। ग्रहण समाप्त होने के बाद पूरे घर में गंगाजल छिड़कें। तुलसी के पेड़ से मंदिर तक अपने पूरे घर को गंगाजल से शुद्ध करें।